કલમ 144 શું છે?





1973 ના ક્રિમિનલ પ્રોસિજર કોડ (સીઆરપીસીની કલમ 144 ફોજદારી કાર્યવાહીની સંહિતા હેઠળનો કાયદો છેકલમ 44 હિંસા અથવા ઉપદ્રવની અટકાયત અને નિવારણ સંબંધિત જોગવાઈઓ લાગુ કરવા માટે રાજ્ય સરકાર દ્વારા જિલ્લા મેજિસ્ટ્રેટસબ-ડિવિઝનલ મેજિસ્ટ્રેટ અથવા કોઈપણ કારોબારી મેજિસ્ટ્રેટને અધિકાર આપે છેકલમ 144  કોઈ પણ રાજ્ય કે પ્રદેશના એક્ઝિક્યુટિવ મેજિસ્ટ્રેટને કોઈ ક્ષેત્રના ચાર કે તેથી વધુ લોકોની એસેમ્બલી પર પ્રતિબંધ મૂકવાનો હુકમ જારી કરવાની સત્તા આપે છેકાયદા અનુસારઆવી 'ગેરકાયદેસર એસેમ્બલીના દરેક સભ્ય પર તોફાનોમાં સામેલ થવા માટે ગુનો દાખલ કરી શકાય છે પગલું માનવ જીવનના આરોગ્ય અને સલામતી માટેના જોખમને રોકવા અને આખરે કોરોના વાયરસ નામ ની મહામારી ( COVID-19 ) ના ફેલાવાને ધીમું કરવા અમલમાં મૂકવામાં આવ્યું છે.

શું કલમ ૧૪૪ ને પડકારી શકાય છે?

કાયદાકીય હુકમની અંદર હાજર હુકમ અથવા આવા કોઈપણ હુકમ જાહેર સભાઓ અને હિલચાલ પર અમુક નિયંત્રણો લાદવા માટે જરૂરી સાધન હશે અને આદેશને અનુચ્છેદ 19 (1) (બીમાં સમાવિષ્ટ મૂળભૂત અધિકારનો ભંગ કરવાના કારણસર પડકારવામાં આવી શકશે નહીં.

કલમ 144 કેવી રીતે લાગુ કરી શકાય છે?

મેજિસ્ટ્રેટે લેખિત આદેશ આપવો પડે છેજેના દ્વારા કોઈ ખાસ અથવા ખાસ સ્થળે અથવા વિસ્તારમાં રહેતા લોકો અથવા સામાન્ય રીતે કોઈ ચોક્કસ સ્થળ અથવા વિસ્તારની ગતિવિધિના સંબંધમાં લોકોને નિર્દેશિત કરી શકાય છેકટોકટીના કેસોમાં મેજિસ્ટ્રેટ  ઓર્ડર કોઈપણ પૂર્વ સૂચના વિના પાસ કરી શકે છે.

The difference between lock down, curfew and Section 144લોકડાઉનકર્ફ્યુ અને કલમ 144 વચ્ચેનો તફાવત

  1.  લોકસભા ત્યારે છે જ્યારે એસેમ્બલી પર પ્રતિબંધ હોય છે પરંતુ આવશ્યક સેવાઓ હજી પણ ઉપલબ્ધ છે.
  2.  સેક્શન 144 ત્યારે છે જ્યારે ભારતીય દંડ સંહિતા (આઈપીસીહેઠળ એસેમ્બલી પર પ્રતિબંધ છે.
  3.  કર્ફ્યુ ત્યારે છે જ્યારે આવશ્યક સેવાઓ બંધ રાખવાની સાથે કલમ 144 લાગુ કરવામાં આવે છે.
  4.  લોકડાઉન દરમિયાન કારણ વગર નાગરિકોની ધરપકડ કરી શકાતી નથી પરંતુ કર્ફ્યુ દરમિયાન કલમ 188 હેઠળ કેસ નોંધવામાં આવી શકે છે.

ધ્યાનમાં રાખો કે સેક્શન 144 અને કર્ફ્યુ એક વસ્તુ નથીખૂબ  નબળી હાલતમાં કર્ફ્યુ લાદવામાં  આવ્યો છેતે સ્થિતિમાં લોકોને કોઈ ખાસ સમય અથવા સમયગાળા માટે તેમના ઘરની અંદર રહેવાની સૂચના આપવામાં આવે છેબજારશાળાકોલેજનો સમયગાળો બંધ રાખવાનો આદેશ અપાયો છેફક્ત આવશ્યક સેવાઓ ચાલુ રાખવાની મંજૂરી છે સમય દરમિયાનટ્રાફિક પર પણ સંપૂર્ણ  પ્રતિબંધ છે.

કલમ -144 કેટલો સમય લાગુ કરી શકાય છે?

કલમ -144 


મહિનાથી વધુ સમય માટે લાગુ કરી શકાતી નથીજો રાજ્ય સરકારને લાગે છે કે માનવ જીવનના જોખમને ટાળવા માટે અથવા કોઈ તોફાનોથી બચવા માટે જરૂરી છેતો તેનો સમયગાળો લંબાવી શકાય છેપરંતુ  સ્થિતિમાં પણતે કલમ -144 લાદવાની શરૂઆતની તારીખથી  મહિનાથી વધુ સમય માટે લાદવામાં આવી શકતી નથી.



जानिए क्या होती है सीआरपीसी की धारा-144

क्या है धारा-144 और कब लगाई जाती है? सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने या किसी आपात स्थिति से बचने के लिए लगाई जाती है। ... धारा-144 जहां लगती है, उस इलाके में चार  या उससे ज्यादा आदमी एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं। धारा लागू करने के लिए इलाके के जिलाधिकारी द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है।
 अक्सर हम सभी सुनते या पढ़ते हैं कि पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा-144 लगा दी है. कहीं भी किसी भी शहर में हालात बिगड़ने की संभावना या किसी घटना के बाद धारा-144 लगा दी जाती है. आईए जानते हैं कि आखिर धारा-144 है क्या और इसका पालन न करने पर सजा भी हो सकती है.

क्या है धारा-144

इस सेक्शन के जरिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट धारा 144 लागू करने की सूचना जारी कर सकते हैं

सीआरपीसी के तहत आने वाली धारा-144 शांति व्यवस्था कायम करने के लिए लगाई जाती है. इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है. और जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं. इस धारा को लागू किए जाने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है.

क्या है सजा का प्रावधान

धारा-144 का उल्लंघन करने वाले या इस धारा का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है. उस व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है. इस धारा का उल्लंघन करने वाले या पालन नहीं करने के आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है. वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत हो जाती है.

ध्यान रहे कि सेक्शन 144 और कर्फ्यू एक चीज नहीं है। कर्फ्यू बहुत ही खराब हालत में लगाया जाता है। उस स्थिति में लोगों को एक खास समय या अवधि तक अपने घरों के अंदर रहने का निर्देश दिया जाता है। मार्केट, स्कूल, कॉलेज आधि को बंद करने का आदेश दिया जाता है। सिर्फ आवश्यक सेवाओं को ही चालू रखने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान ट्रैफिक पर भी पूरी तरह से पाबंदी रहती है।

क्या एक व्यक्ति को भी हिरासत में ले सकती है पुलिस ??

इस बात को समझने की जरूरत है कि धारा 144 (Section 144) के प्रावधानों के मुताबिक सिर्फ 3 या 3 से ज्यादा व्यक्ति के एक जगह पर इकट्ठा होने पर नहीं बल्कि एक व्यक्ति के भी वहां होने पर उसे हिरासत (detain) में लिया जा सकता है

 दरअसल इस बात को समझने की जरूरत है कि धारा 144 के प्रावधानों के मुताबिक सिर्फ 3 या 3 से ज्यादा व्यक्ति के एक जगह पर इकट्ठा होने पर नहीं बल्कि एक व्यक्ति के भी वहां होने पर उसे हिरासत में लिया जा सकता है. ये मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है कि वो एक आदमी के एक जगह होने पर क्या सोचता है. अगर एक व्यक्ति के भी एक जगह पर खड़ा होने से किसी तरह का खतरा, आम जनता के लिए भय का वातावरण या किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था का मसला खड़ा होता है, तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है. इमरजेंसी के हालात में बिना किसी पूर्व सूचना के धारा 144 लागू कर किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

अनुच्छेद -144 को कब तक लागू किया जा सकता है?

राज्य सरकार चाहे तो धारा 144 को 2 महीने तक लगाए रख सकती है. हालांकि ये 6 महीने से ज्यादा की अवधि तक लगाए नहीं रखा जा सकता.


क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)

दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. जब कोई अपराध किया जाता है, तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.


कर्फ्यू :- (Curfew)

वर्तमान समय में कर्फ्यू (Curfew) पुलिस द्वारा घोषित एक आदेश या आज्ञा होती है जिसका उपयोग विशेष परिस्थितियों में, उदाहरणत: दंगा, लूटपाट, आगजनी, हिंसात्मक तथा विध्वंसक कार्यों को रोककर पुन: शांति एवं व्यवस्था स्थापित करने तथा नागरिकों की सुरक्षा के निमित्त किया जाता है। आज के कर्फ़्यू आदेश के साथ विधि का बल है और इसका उल्लंघन दंडनीय है। भारत में यह आदेश दंडविधान संहिता की धारा 144 के अंतर्गत कार्यकारी मैजिस्ट्रेटों द्वारा ।

जनता कर्फ्यू (Janata Curfew) :-



जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू (अर्थात् निषेधाज्ञा) है। इस शब्दावली का सर्वप्रथम प्रयोग भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2020 में फैले कोरोना वायरस नामक वैश्विक महामारी के दौरान गुरुवार, 19 मार्च 2020 को रात 8 बजे भारत की जनता को किए गये सम्बोधन[1][2] में किया गया था। अपने सम्बोधन में उन्होने भारत की जनता से आग्रह किया कि वे सभी आने वाले रविवार 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू [3]का पालन करें। जनता कर्फ्यू को उन्होने "जनता के लिए, जनता द्वारा, खुद पर लगाया गया कर्फ्यू"[4] कहकर परिभाषित किया।[5]उन्होने देशवाशियों से आग्रह किया कि जनता कर्फ्यू के दौरान जरुरी सेवाओं से सम्बन्धित लोगों के अलावा कोई भी नागरिक घरों से बाहर न निकलें।
जनता कर्फ्यू अंग्रेजी के लॉकडाउन से भिन्न है। जनता कर्फ्यू व्यक्ति पर अनिवार्य नहीं होता जबकि लॉकडाउन शासन द्वारा जनता पर आरोपित किया जाता है तथा जनता द्वारा इसका पालन करना अनिवार्य होता है।





















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